लोकतंत्र भारती
जागो जनता, जागो जनता
हो चुकी समाप्त ये निशा है
है हो रहा भोर उषा का सतत प्रासार
झांको खिड़की के परे
देखो वायदों का लगा अम्बार
चील कौवो सी मची है हलचल
हो रहा प्रतीत ये विचित्र वातावरण
करो मानव मत का अमूल्य व्यापार
लोकतंत्र भारती का करो उद्धार
जागो जनता, जागो जनता
हो चुकी समाप्त ये निशा है
है हो रहा भोर उषा का सतत प्रासार
झांको खिड़की के परे
देखो वायदों का लगा अम्बार
चील कौवो सी मची है हलचल
हो रहा प्रतीत ये विचित्र वातावरण
करो मानव मत का अमूल्य व्यापार
लोकतंत्र भारती का करो उद्धार
जागो जनता, जागो जनता
मुरली
(२५.०१.२०१७)
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